बचाने की जरूरत है
बचाने की जरूरत है, तेरे मेरे बगीचे को
जहां खेले थे बचपन में, जहां मिलते थे हम दोनों
बचाने की जरूरत है, तेरे सपनों की दुनिया को
जहां बुनते थे कुछ यादें, सुनहरे ख़्वाब जीवन के
बचाने की जरूरत है, सुहागन की प्रतीक्षा को
पति जिसका लड़े हर क्षण, वतन की लाज रखने को
बचाने की जरूरत है, ममता के पलों को आज
न रोए कोई बूढ़ी मां, न बैठे वृद्ध आश्रम में
बचाने की जरूरत है, अस्तित्व एक स्त्री का
न हो दोहराव, फिर कोई बने न निर्भया अब से
बचाने की जरूरत है, रिश्तों में बसे एक जीवन को
सुख दुःख के सब सहभागी हो, एक साथ रहें सब मिल जुल के
बचाने की जरूरत है, सह अस्तित्व को दुनिया में
करो अंतर नहीं प्यारे, कभी बेटे और बेटी में
बचाने की जरूरत है, भाई चारा सामाजिकता
रहें सब साथ मिल जुल कर, न हो झगड़ा, न हो रगड़ा
बहुत कुछ और बाकी है बचाने को धरातल पर
बचा लो पानी धरती का, लगे हाथों आंखों का भी