
आज से दो साल पहले, सर्दी की एक रात को मैं गोरखपुर से औरीहार की ट्रेन में सवार हुआ। आैरीहार स्टेशन पर अगली ट्रेन की प्रतीक्षा करते समय मुझे यह पक्षी प्लेटफार्म पर बैठा दिख गया था। विपरीत परिस्थिति में भी जीवन जीने की अतुलित प्रेरणा देता यह पक्षी मेरे जीवन में रौशनी की एक किरण बन गया था।