हर पल बदलती दुनिया में हो रहे नित नए अनुभवों और मजबूरी की मुस्कान के पीछे दर्द की उपस्थिति।
आखिर कौन सी दुनिया में जी रहे हैं हम सब?
पेश हैं चंद पंक्तियां –
मुस्कराहट के पीछे आंसू छिपाना सिखा दिया
कुछ इस तरह से दुनिया ने जीना सिखा दिया
कहें जिसको भरोसेमंद हकीकत में है क्या अपना
नहीं मिलता है अपनापन था अपना रह गया सपना