- महाभारत काल के संभावित अवशेषों की प्राप्ति
- आधार – उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के सिनौली में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा कराई जा रही खुदाई
- अब तक तीन बार खुदाई हो चुकी है
- प्रथम – 2005–06
- द्वितीय – 2018
- तृतीय – जनवरी – मार्च 2019
- अब तक तीन बार खुदाई हो चुकी है
- प्राप्त वस्तुएँ –
- चार पाए वाली एवं सुसज्जित दस शाही शव पेटिकाएँ, तीन रथ, कंकाल, आभूषण – अनुमानतः महाभारत काल से संबंधित
- इन लकड़ी की शव पेटिकाओं पर चूना मिट्टी से बड़ी बारीकी से पच्चीकारी की गई है। इनके नीचे चित्रकारी किया हुआ बॉक्स मिला है जो संभवतः श्रृंगारदान रहा होगा।
- 30–40 वर्ष की आयु की दो महिलाओं के कंकाल मिले हैं जिनमें से एक महिला की बाँह पर चीनी मिट्टी का बाजूबंद मिला है तथा चेहरे पर सोने का एक टुकड़ा है।
- अनुमानतः यह टुकड़ा अंतिम संस्कार के समय मुंह में रखा गया होगा या फिर महिला ने नाक में पहना होगा
- तांबे की फ्रेम वाला एक शीशा
- सींग से बना एक कंघा
- लंबाई के आकार में तांबे का एक बर्तन
- शव पेटिकाओं के सिर की ओर 21 से अधिक मृदभांड
- विशेष चैंबर में एक हवन कुंड तथा लकड़ी के जले हुए टुकड़े
- जली लकड़ी के अवशेषों से अनुमान लगाया जा रहा है कि इस चैंबर को मृत देह को स्नान कराने तथा पूजा–पाठ में उपयोग किया जाता होगा।
- युद्ध का सामान
- चार पाए वाली एवं सुसज्जित दस शाही शव पेटिकाएँ, तीन रथ, कंकाल, आभूषण – अनुमानतः महाभारत काल से संबंधित
- पुरातत्वविद् सीधे तौर पर तो इसे महाभारतकालीन नहीं कह रहे हैं किंतु इतना जरुर कह रहे हैं कि यह हड़प्पा सभ्यता नहीं है बल्कि हड़प्पा से पहले की या कोई समानांतर सभ्यता है।
- इस खुदाई और हड़प्पा सभ्यता में अंतर –
- ताम्र सामान की आकृति एक–दूसरे से अलग
- ताम्र हथियार बनाने की प्रक्रिया और उनके आकार हड़प्पा से भिन्न
- मनके हड़प्पा सभ्यता की तकनीक से अलग
- हडप्पा सभ्यता के लिए अब तक हुए लगभग 500 स्थानों की खुदाई में कहीं पर भी चार पाए वाली शव पेटिकाएँ, रथ व युद्ध के हथियार प्राप्त नहीं हुए हैं।
- आधार – उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के सिनौली में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा कराई जा रही खुदाई
- सरकार द्वारा अप्रैल में 1874 करोड़ की शत्रु संपत्तियों की बिक्री
- वित्त वर्ष 2019–20 के लिए 90000 करोड़ रुपए के विनिवेश का लक्ष्य
- वित्त वर्ष 2018–19 में विनिवेश के जरिए शत्रु संपत्ति की बिक्री के 779 करोड़ रुपए समेत कुल 84972 करोड़ रुपए का विनिवेश
- शत्रु संपत्ति – ऐसी संपत्ति जिन्हें छोड़कर लोग पाकिस्तान या चीन चले गए हैं और वर्तमान में भारत के नागरिक नहीं हैं।
- मार्च 2019 में मंत्रिमंडल ने Custodian of Enemy Property for India (CEPI) के अंतर्गत आने वाली अचल शत्रु संपत्ति को भी बेचने की प्रक्रिया को मंजूरी दे दी थी
- DIPAM द्वारा निर्धारित संपत्ति बिक्री दिशानिर्देश के अनुसार, CEPI या गृह मंत्रालय संबंधित पक्षों तथा राज्य सरकार के परामर्श से बिक्री के लिए संपत्ति का चयन करता है।
- बिक्री की शर्त – चयनित संपत्ति किसी भी प्रकार की जटिलता और अतिक्रमण से मुक्त हो
- इन संपत्तियों की बिक्री की अंतिम मंजूरी वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली एक मंत्री समिति देती है।
- जापान में नए सम्राट की ताजपोशी
- वर्तमान सम्राट अकिहितो द्वारा 85 वर्ष की उम्र में स्वास्थ्य कारणों से पदमुक्त होने का ऐलान
- उनके पुत्र तथा क्राउन प्रिंस नारुहितो (59 वर्षीय) उनकी जगह लेंगे
- दो सदी में स्वेच्छा से राजगद्दी छोड़ने वाले पहले सम्राट
- जापान में सम्राट द्वारा स्वेच्छा से पद छोड़ने से संबंधित कोई कानून नहीं था अतः सम्राट की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की इच्छा को पूरा करने के लिए साल 2017 में जापानी संसद द्वारा एक विशेष विधेयक पारित किया गया था।
- परंपरा के अनुसार उन्होंने शाही परिवार की कुल देवी अमेतरासु के मंदिर में जाकर उन्हें पद छोड़ने की सूचना दी।
- हिममानव की मौजूदगी का नया दावा
- मेजर मनोज जोशी के नेतृत्व में 18 सैनिकों के भारतीय सेना के पर्वतारोही दल द्वारा माउंट मकालू के बेस कैंप के पास ट्वीट द्वारा हिममानव के पदचिह्न देखे जाने का दावा
- यति या हिममानव – तिब्बत और नेपाल की लोकप्रिय दंतकथाओं में वर्णित दैत्याकार बंदर जैसा जीव जो एशिया के सुदूर हिमालयी पर्वतीय इलाकों में रहता था।
- सबसे पहला दावा – 1921 में
- हेनरी न्यूमैन नामक पत्रकार द्वारा ब्रिटेन के खोजकर्ताओं के एक दल के इंटरव्यू में
- खोजकर्ताओं द्वारा पहाड़ पर पैरों के विशालकाय निशान देखे जाने का दावा
- खोजकर्ताओं के गाइड ने बताया था कि वे निशान मेताेह–कांगमी के हैं
- मेतोह–कांगमी – मेतोह = आदमी जैसा दिखने वाला भालू, कांगमी = बर्फ पर पाया जाने वाला इंसान
- खोजकर्ताओं के गाइड ने बताया था कि वे निशान मेताेह–कांगमी के हैं
- सबसे पहली कहानी – 1925 में
- एक जर्मन फोटोग्राफर द्वारा हिममानव पर प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार उसकी आकृति बिल्कुल इंसान के जैसी थी तथा वह सीधा खड़ा होकर चल रहा था। बर्फ के बीच उसका काला रंग नजर आ रहा था और उसने कोई कपड़ा नहीं पहन रखा था।
- सबसे पहला सबूत – 1951 में
- ब्रिटेन के पर्वतारोही एरिक शिप्टन द्वारा मेनलूंग ग्लेशियर पर विशालकाय पैरों के निशान की तस्वीर कैमरे में कैद की गई
- अन्य दावे –
- 1963 में सर एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नोर्गे ने माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करते समय बड़े पैरों के निशान देखे थे
- 2008 में साहसी जापानी लोगों द्वारा तिब्बत स्थित हिमालय क्षेत्र में लगभग आठ इंच लंबे पैरों के निशान देखने का दावा
- रहस्योद्घाटन – 2017 में
- अमेरिकी जीवविज्ञानी शार्लट लिंडक्विस्ट के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक टीम का दावा था कि उन्होंने हिममानव और उसके आंत से जुड़े रहस्यों को ढूंढ निकाला है। उन्होंने हिममानव के अवशेषों का DNA Test के जरिए विश्लेषण किया। इन अवशेषों के नमूनों में हाथ, दाँत, हाथ की त्वचा, बाल और मल शामिल थे जो तिब्बत और हिमालयी इलाकों से मिले थे। जाँच के दौरान उपलब्ध नौ नमूनों में से एक कुत्ते का निकला जबकि बाकी के आठ नमूने भालूओं की अलग–अलग प्रजातियों के थे।
- शोध की आरंभिक अवधारणा यह थी कि ये नमूने भालूओं की उस प्रजाति से मिलते हैं जिसकी अभी तक खोज नहीं की जा सकी है।
- अंडा देने वाली चट्टान
- चीन में स्थित “चन दन या” नामक चट्टान
- चन दन या का हिंदी अर्थ है अंडा देने वाला पत्थर
- इन चट्टानाें से निकले अंडों को स्थानीय लोग खुशी का प्रतीक मानते हैं और जब ये अंडे जमीन पर गिरते हैं तो लोग इन्हें उठाकर अपने घर ले आते हैं
- भू–वैज्ञानिकों के अनुसार ये चट्टान 500 मिलियन साल पहले की है
- विशेषज्ञों के अनुसार मौसम और पर्यावरण में होने वाले बदलाव के कारण इस चट्टान की संरचना और तत्वों में बदलाव देखा जा सकता है जिससे इस पत्थर पर कई तरह की आकृति उभर आती है। हालांकि अभी इस बात का खुलासा नहीं हो पाया है कि इस चट्टान पर ये एकदम अंडाकार और चिकनी आकृतियाँ कैसे बनती हैं।
- चीन में स्थित “चन दन या” नामक चट्टान
- मूत्र जाँच से गर्भाशय के कैंसर का पता
- ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर का दावा
- कई विकासशील देशों में गर्भाशय कैंसर होने की आशंका 15 गुना ज्यादा है किन्तु वहाँ इसकी पारंपरिक स्मियर जाँच उपलब्ध नहीं है।
- 30 से 35 आयु वर्ग की महिलाओं में सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर
- मूत्र जाँच के जरिए पता चल जाने से अनेकों महिलाओं की जान बचाई जा सकती है
- इस जाँच से प्री–कैंसर स्टेज का भी पता लगाया जा सकता है
- आँकड़ों के अनुसार 70 में से एक महिला को गर्भाशय का कैंसर होता है और इसका मुख्य कारण समय पर बीमारी का पता न चलना है।
- चिली में 15 हजार साल पुराना मानव पदचिह्न
- 2010 में चिली के ओसर्नो शहर में इसकी खोज हुई थी
- जीवाश्म अध्ययन के अनुसार यह किसी वयस्क मानव का था जो नंगे पैर चल रहा था
- कार्बन डेटिंग विधि से पता चला कि यह निशान 15 हजार साल से ज्यादा पुराना है
- दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप में मिला सबसे पुराना पदचिह्न
- इस खोज के बाद दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप मे मानवों के पहुँचने के घटनाक्रम से जुड़े पुराने अनुमानों के सामने चुनौती उत्पन्न
- पूर्व के प्रमाणों केअनुसार प्राचीन मानव दक्षिणी अमेरिका के दक्षिणी छोर पर स्थित पेटागोनिया इलाके में 12 हजार साल पहले तक भी नहीं पहुँचे थे
- इस खोज के बाद दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप मे मानवों के पहुँचने के घटनाक्रम से जुड़े पुराने अनुमानों के सामने चुनौती उत्पन्न
- इससे पहले पूर्वी अफ्रीकी देश तंजानिया में 36 लाख साल पुराना मानव पदचिह्न मिला था
- पिछले साल ब्रिटिश कोलंबिया में भी 13 हजार साल पुराने प्राचीन मानव का पदचिह्न खोजा गया था
- 2010 में चिली के ओसर्नो शहर में इसकी खोज हुई थी
साभार– दैनिक जागरण (राष्ट्रीय संस्करण) दिनांक 01 मई 2019