- फणि का कहर
- बंगाल की खाड़ी से उठे इस चक्रवात ने ओडिशा के पुरी में 245 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तांडव मचाया
- नाम का भ्रम –
- चक्रवात का नाम बांग्लादेश द्वारा फणि रखा गया था और इसे वहाँ फोनि उच्चारित किया जाता है जिसका स्थानीय अर्थ सांप होता है।
- हालांकि कोई इसे फोनी कह रहा तो कोई फानी तो कोई फेनी
- अंग्रेजी में इसे FANI लिखा जा रहा है जिसकी वजह हिंदी में इसका उच्चारण फनी या फणि प्रचलित हो गया
- यह पिछले 52 वर्षों में मई में भारत से टकराने वाला दसवां चक्रवात है और पिछले 43 सालों में तीव्रतम भी है
- क्या है चक्रवात –
- कम वायुमंडलीय दाब के चारों ओर गर्म हवाओं की तेज आंधी को चक्रवात कहते हैं
- विभिन्न नाम –
- दक्षिणी गाेलार्द्ध में इन्हें चक्रवात कहते हैं और clockwise चलते है
- उत्तरी गोलार्द्ध में इन्हें हरिकेन या टाइफून कहते हैं और anticlockwise चलते हैं
- चक्रवात के कारण –
- गर्म क्षेत्राें में समुद्र में सूर्य की भयंकर गर्मी से हवा गर्म होकर अत्यंत कम वायुदाब का क्षेत्र बना देती है। हवा गर्म होकर तेजी से उपर आती है और उपर की नमी से संतृप्त होकर संघनन से बादलों का निर्माण करती है। रिक्त स्थान को भरने के लिए नम हवाएँ तेजी के साथ नीचे जाकर उपर आती हैं जिसके फलस्वरुप ये हवाएँ बहुत ही तेजी के साथ उस क्षेत्र के चारों ओर घूमकर घने बादलों और बिजली कड़कने के साथ–साथ मूसलाधार बारिश करती हैं। कभी–कभी तो तेज घूमती इन हवाओं के क्षेत्र का व्यास हजारों किमी में होता है।
- नामकरण की प्रक्रिया –
- विश्व मौसम संगठन और United Nations Economic and Social Commission for Asia and Pacific द्वारा जारी चरणबद्ध प्रक्रियाओं द्वारा किसी चक्रवात का नामांकन किया जाता है
- आठ उत्तरी भारतीय समुद्री देश (बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, मालदीव, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड) एक साथ मिलकर आने वाले चक्रवातों के 64 (प्रत्येक देश द्वारा आठ नाम) नाम तय करते हैं
- जैसे ही चक्रवात इन आठों देशों के किसी हिस्से में पहुँचता है, सूची से अगला दूसरा सुलभ नाम इस चक्रवात का रख दिया जाता है
- नामकरण की यह प्रक्रिया 2004 में प्रारंभ हुई थी
- भारत में चक्रवात से सामान्य तौर पर प्रभावित इलाके –
- ओडिशा, गुजरात, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गोवा के तटीय इलाके
- नाम का भ्रम –
- बंगाल की खाड़ी से उठे इस चक्रवात ने ओडिशा के पुरी में 245 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तांडव मचाया
- स्वाद ग्रंथियां तय नहीं करतीं मीठी या कड़वी ड्रिंक की चाह –
- अमेरिकी की North Western University के वैज्ञानिकों के अध्ययन में दावा
- अध्ययन के अनुसार, कॉफी, बीयर जैसे पेय पदार्थों के स्वाद के आधार पर लोग उसे नहीं पीते बल्कि इस आधार पर पीते हैं कि उसे पीने के बाद वे कैसा महसूस करते हैं
- इसके जरिए लोगों की regular diet में हाेने वाले बदलाव के कारण का भी पता लगाया जा सकता है
- इस अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने जीनोम–वाइड एसोसिएशन के जरिए ब्रिटेन के बायोबैंक में लगभग 336000 लोगों को कड़वे और मीठे पदार्थों का सेवन कराया
- अमेरिकी की North Western University के वैज्ञानिकों के अध्ययन में दावा
- हिमाचल में मिला डायनासोर काल का जीवाश्म
- शिमला स्थित जुब्बल के सेब बहुल क्षेत्र खड्डापत्थर में
- कहा जा रहा है कि यह डायनासोर काल का भी हो सकता है
- प्रारंभिक जाँच के आधार पर इसके करोड़ों वर्ष पुराना होने का अनुमान
- वन विभाग की टीम ने इसे निरीक्षण के दौरान देखा
- यूरोप के बाद यह पहला ऐसा इलाका होगा जहाँ जीवाश्म के उम्र की जाँच के लिए विश्व भर के विशेषज्ञ बुलाए जाएंगे
- जीवाश्म –
- पृथ्वी पर किसी समय जीवित रहने वाले अति प्राचीन सजीवों के परिरक्षित अवशेषों या उनके द्वारा चट्टानों में छोड़ी गई छापों को जो पृथ्वी की सतह या चट्टानों की परतों में सुरक्षित पाए जाते हैं, उन्हें जीवाश्म कहते हैं
- विभिन्न प्रकार के जीवाश्मों के निरीक्षण से पता चलता है कि पृथ्वी पर अलग–अलग काल में भिन्न–भिन्न प्रकार के जीव हुए हैं
साभार– दैनिक जागरण (राष्ट्रीय संस्करण) दिनांक 04 मई 2019