कुछ ख्वाब अधूरे फिर भी रहे
एक उमर हुई तेरे राहगुजर, कुछ काम अधूरे फिर भी रहे
सब कुछ पाने की चाहत में, कुछ नाम अधूरे फिर भी रहे
बचपन में सारे खिलौने मिले, एक चांद अधूरा फिर भी रहा
तारों की सैर का था सपना, ये ख्वाब अधूरा फिर भी रहा
भाई बहनों की लड़ाई में, एक डांट अधूरी फिर भी रही
हरदम हरपल थे साथ मगर, अंजान सी दूरी फिर भी रही
मां बाप ने हर नेमत ला दी, एक चाह अधूरी फिर भी रही
खोया उनको तो समझ आया, हर राह अधूरी फिर भी रही
पढ़ लिए विषय सारे जग के, एक सोच अधूरी फिर भी रही
मोटी डिग्री पर मंजिल की, एक खोज अधूरी फिर भी रही
कुछ यार मिले जीवन भर के, एक प्यार अधूरा फिर भी रहा
बिछड़े निकले सब राह अलग, ये यार अधूरा फिर भी रहा
सब काम किया जो दिया गया, संतोष अधूरा फिर भी रहा
हर दिन की एक सी दुनिया में, नवाचार अधूरा फिर भी रहा
परिवार बसाया शादी हुई, हमसफ़र अधूरा फिर भी रहा
बच्चों के लालन पालन में, एक बच्चा अधूरा फिर भी रहा
परिवार समाज की चिंता में, खुद में हम अधूरे फिर भी रहे
सबकी हर कमी पूरा करते, नज़राने अधूरे फिर भी रहे
जीवन की आपाधापी में, कुछ सपने अधूरे फिर भी रहे
जीवन के चौथेपन में अब, कुछ अपने अधूरे फिर भी रहे
यही पथ है जीवन का प्यारे, कुछ पल जी लो अपनी धुन में
थम जाए कहां राही का सफर, सौ पल जी लो हर एक पल में