तुम्हारी निश्चल आँखें
तारों सी चमकती हैं मेरे अकेलेपन की रात के आकाश में
प्रेम पिता का दिखाई नहीं देता
ईश्वर की तरह होता है
जरूर दिखाई देती होंगी नसीहतें
नुकीले पत्थरों सी।
चंद्रकांत देवताले द्वारा लिखित ये पंक्तियाँ अत्यंत कम शब्दों में जीवन के उस यथार्थ की व्याख्या कर जाती हैं जो आम तौर पर अनदेखा कर दिया जाता है।
जी हाँ, मैं इसी संसार में सर्वत्र पाए जाने वाले पिता नाम के उसी प्राणी की बात कर रहा हूँ जो अपनी कड़वी किंतु लाभकारी नसीहतों के कारण प्रायः उपेक्षा का शिकार बन जाता है। जबकि तथ्य यह है कि वे नसीहतें उस प्राणी के अंदर अपनी संतान के लिए छिपे अव्यक्त प्रेम की परिणति होती हैं।
मेरा व्यक्तिगत रुप से यह मानना है कि सबसे बेहतर गुरू और मित्र माता-पिता ही होते हैं किन्तु हमारी सबसे बड़ी कमजोरी है कि हम उन्हें गुरू या मित्र के रूप में स्वीकार नहीं कर पाते। यह भूल हमें तब समझ में आती है जब हम उन बहुमूल्य निधियों को खो चुके होते हैं।
पिताजी, आप द्वारा दिया गया ज्ञान और शिक्षा सदैव मेरे साथ रहेंगे और आपका जीवन आदर्श मेरे लिए सबसे बड़ी प्रेरणा है। सादर नमन।
Happy Fathers’ Day to all of you…….