- नदियों की सफाई का जिम्मा अब जलशक्ति मंत्रालय को
- पहले नदियों की सफाई का काम पर्यावरण मंत्रालय के अधीन था
- जलशक्ति मंत्रालय पहले केवल गंगा और उसकी सहायक नदियों की ही सफाई का काम देखता था लेकिन अब यह शेष नदियों के प्रदूषण को दूर करने का भी काम करेगा
- नई सरकार में जल संसाधन, नदी विकास व गंगा संरक्षण मंत्रालय का नाम बदलकर जलशक्ति मंत्रालय किया गया
- कैबिनेट सचिवालय द्वारा सरकार (कार्य आवंटन) नियम 1961 में संशोधन के तहत नए नामकरण की अधिसूचना जारी
- पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय का जलशक्ति मंत्रालय में विलय
- जलशक्ति मंत्रालय में अब दो विभाग होंगे –
- जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग
- पेयजल और स्वच्छता विभाग
- नई सरकार में जल संसाधन, नदी विकास व गंगा संरक्षण मंत्रालय का नाम बदलकर जलशक्ति मंत्रालय किया गया
- राष्ट्रीय जल संरक्षण निदेशालय अब जलशक्ति मंत्रालय के अधीन होगा जो अब तक पर्यावरण मंत्रालय का एक अंग था
- डॉ रंजना अग्रवाल राष्ट्रीय विज्ञान प्रौद्योगिकी संस्थान की निदेशक नियुक्त
- कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में रसायन विज्ञान विभाग में प्रोफेसर
- संस्थान के अध्यक्ष – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
- संस्थान के उपाध्यक्ष – केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ हर्षवर्धन
- 6 वर्ष के लिए नियुक्त
- राष्ट्रीय विज्ञान प्रौद्योगिकी संस्थान केंद्र सरकार के अंतर्गत वैज्ञानिक एवं औद्याेगिक अनुसंधान परिषद के प्रमुख अनुसंधान संस्थानों में से एक है
- महिला वन डे विश्व कप 30 जनवरी 2020 से न्यूजीलैंड में
- ICC द्वारा Tournament की तारीखों की घोषणा
- 30 जनवरी से 20 फरवरी के बीच कुल 31 मैच खेले जाएंगे
- दो पुरुष और एक महिला विश्व कप की मेजबानी कर चुका न्यूजीलैंड चौथी बार एकल या संयुक्त रुप से विश्व कप की मेजबानी कर रहा है
- महिला विश्व कप का यह 12वां संस्करण होगा
- ICC महिला Championship की अंक तालिका में शीर्ष चार टीमों को सीधा प्रवेश
- चंद्रमा में छुपे हैं सूर्य के रहस्य
- नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के वैज्ञानिकों के अनुसार लगभग चार अरब साल पहले सौरमंडल के कई ग्रहों पर केमिकल रिएक्शन के चलते ब्लास्ट हुआ था जिसके कारण तीव्र विकिरण और अत्यधिक उर्जा के बादल और कण निकलकर पूरे सौरमंडल में फैल गए थे
- इस घटना की वजह से पृथ्वी को गर्म और गीला दोनों तरह का वातावरण मिला और यहां जीवन संभव हो पाया किंतु यही ब्लास्ट अन्य ग्रहों पर जीवन की उत्पत्ति में सहायक नहीं हो सका। यहां तक कि इसने कई ग्रहों के वातावरण को पूरी तरह तहस नहस भी कर दिया
- सौर मंडल में यह केमिकल रिएक्शन इस पर निर्भर करता है कि सूर्य अपनी धुरी पर कितनी तेजी से घूम रहा था। जितनी तेजी से वह घूमेगा, ग्रहों में रिएक्शन उतना ही तेज हुआ होगा
- खगोल विज्ञानी प्रबल सक्सेना के अनुसार अपोलो मिशन द्वारा लाए गए चंद्रमा की सतह के नमूने और पृथ्वी पर चंद्रमा से आए उल्कापिंडों के अध्ययन से पता चला है कि चंद्रमा की मिट्टी में पृथ्वी की तुलना में सोडियम और पोटैशियम कम है। यह बात इसलिए भी आश्चर्यजनक है क्योंकि चंद्रमा की उत्पत्ति के प्रचलित सिद्धांतों को यह शोध चुनौती देता है।
- नासा के शोधकर्ताओं के अनुसार प्रारंभिक दौर में सूर्य की घूर्णन गति धीमी थी और वह किसी नए तारे की तुलना में 50 गुना धीमी गति से घूमता था और एक चक्कर में 9 से 10 दिन का समय लेता था
- नासा के वैज्ञानिक सक्सेना और रोजमैरी किलेन ने सूर्य की घूर्णन की गति और उसकी केमिकल रिएक्शन के बीच एक गणितीय संबंध स्थापित किया है
साभार – दैनिक जागरण (राष्ट्रीय संस्करण) दिनांक 19 जून 2019
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