श्री गुरु चरणकमलेभ्यो नमो नमः
जब जीवन का कोई मधुर प्रहर काली छाया के बस में हो
जब मन विचलित, संताप भरा, घनघोर निराशा, बेबस हो
तब ज्ञान भरी कुछ बातों से जीवन रोशन कर जाता है
वो गुरु ही है जो सूरज बन नित राह नई दिखलाता है
जब जीवन रूपी ये कश्ती दुनिया की धार में खो जाती
खुद के सवार की नादानी वश धार से पार नहीं पाती
तब हाथ पकड़ कर धारा से वो पार कराने आता है
वो गुरु ही है जो माही बन कश्ती को पार लगाता है
हो जाएं सफल चाहे जितना, मिल जाए भले कोई शिखर
जीवन का सारा ज्ञान बोध, जीवन के सफर की सारी डगर
हर एक कदम पर जीवन के उपकार उसी का होता है
सच है कि उन सबका कारक गुरु का प्रताप ही होता है
है भाग्य प्रबल उनका जिनको मिल जाए गुरु की एक कृपा
है भाग्य प्रबल उनका जिनको हर पल गुरु का सानिध्य मिले
है भाग्य प्रबल जिनके सदगुरु का वास सदा उनके मन में
है भाग्य प्रबल मेरा कि पिता ही मिले मुझे गुरु जीवन में
एक सीख दिया उस बच्चे ने जिसने गम में हंसना सीखा
एक सीख दिया उस अपने ने जिसने गम में घर छोड़ दिया
एक सीख दिया उस गईया ने जो हरदम मिली एक जीवट से
एक सीख दिया मेरी मैया ने जिसने हर दुख को मात दिया
हूं आभारी मैं जीवन भर हर एक गुरु का पग पग पर
ठोकर देकर भी जिन्होंने मुझे कोई राह दिखलाई थी
हूं आभारी मैं उनका भी जिन्होंने मुझे शत्रु समझा
उसके क्रम में उन्होंने भी कुछ रीत जगत की सिखाई थी
अनगिनत गुरु मेरे जग में मैं उन सबका आभारी हूं
जीवन के हर क्षण में कायम उनकी आभा से भारी हूं
दिन आज मधुर है गुरुजन का, शत बार नमन है चरणों में
गुरु पर्व पर गुरु से विनती है, बनी रहे कृपा मेरे जीवन में
गुरु पूर्णिमा की पावन बेला में समस्त गुरुजनों को मेरा हृदय से नमन और सादर प्रणाम 🙏🙏🙏🙏🙏
गुरु को समर्पित मेरी 50 वीं कविता 😊
शुभ गुरु पूर्णिमा . बहुत अच्छी कविता है.
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आपको भी गुरु पूर्णिमा की देर सारी बधाइयां।
🙏🙏🙏🙏
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धन्यवाद .
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