मोबाइल डाटा – कितना सुरक्षित
बचपन, जवानी और बुढ़ापा मानव जीवन की क्रमिक और अटल प्रक्रियाएं हैं। जब तक सांसों की गिनती जारी है तब तक इन प्रक्रियाओं का क्रमवार ढंग से आना और जाना लगा ही रहेगा। बुढ़ापा जीवन की आखिरी प्रक्रिया है जिसके गुजरने के बाद एक ही वाक्य (राम नाम सत्य है) सुनाई देता है और उसके बाद सिवाय यादों के कुछ भी बाकी नहीं रह जाता।
मानव एक बड़ा ही विचित्र प्राणी है और इस प्राणी में जो सबसे बड़ी कमी पाई जाती है वो है सब्र का अभाव। वह करना तो बहुत कुछ चाहता है लेकिन घर बैठे और बिना किसी मेहनत के। वह जीना तो हर लम्हा चाहता है लेकिन कभी मरना नहीं चाहता। बचपन और जवानी तो उसकी सबसे प्रिय प्रक्रियाएं हैं लेकिन वह कभी बूढ़ा नहीं होना चाहता। बच्चा जल्दी से जवान होना चाहता है तो जवान एक बार फिर बच्चा बन जाना चाहता है। वह जीवन की सारी प्रक्रियाएं एक ही दिन में जान लेना चाहता है लेकिन उन्हें महसूस करने के नाम से डर जाता है। मानव के इसी मनोविज्ञान का फायदा विभिन्न प्रकार के लोग भिन्न – भिन्न प्रकार से उठाते हैं जिनमें से एक प्रकार मोबाइल ऐप्स के रूप में भी प्रयोग में लाया जाता है।
वर्तमान में एक विशेष प्रकार के मोबाइल ऐप की धूम मची हुई है जिसके द्वारा लोग सेकेंड्स में अपनी किसी तस्वीर को समय के किसी भी दौर में ले जाकर देख सकते हैं। यानी यह ऐप आपको भरी जवानी में बुढ़ापे का लुक दिखा सकता है तो वहीं आपको तस्वीर में दाढ़ी वाला बच्चा भी बना सकता है। लेकिन क्या किसी ने सोचा है कि यह ऐप काम कैसे करता है? मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इन सारी एडिटिंग के दौरान यह ऐप एक खास एल्गोरिथम के प्रयोग हेतु आपसे तरह तरह की अनुमति की मांग करता है जिनमें आपके फोन की सबसे महत्वपूर्ण जानकारियां शामिल होती है। आपको आपके बुढ़ापे या बचपन की तस्वीर पकड़ा कर यह ऐप चुपचाप आपके डाटा को विदेशों में रखे सर्वर्स तक पहुंचा देता है और उसके बाद उस डाटा का प्रयोग किस तरह से किया जाता है इसका हम और आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते।
अभी हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कुछ देशों में भारतीयों की महत्वपूर्ण जानकारी “ओपन फॉर सेल” है और उसकी कीमत महज 750 रुपए है। इन जानकारियों में आपके बैंकिंग और credit card से लेकर आपके निजी पल भी शामिल हो सकते हैं।
मजे की बात तो यह है कि घर में मोबाइल डाटा को सात तालों के बीच रखने वाला मानव किसी अंजान द्वारा बनाए गए ऐप्स को बड़ी आसानी से बिना सोचे परखे अपने तथाकथित गुप्त डाटा में सेंध मारने की छूट खुशी – खुशी दे देता है। यह ऐप्स आकर्षक फीचर्स देने के नाम पर आपके कीमती डाटा को कहां – कहां पहुंचाते हैं इसका हम और आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते। एक चिंतित कर देने वाली सोच यह भी सामने आती है कि मैं कौन सा देश का प्रधानमंत्री हूं जो मेरे डाटा के दुरुपयोग से किसी को कोई फायदा होगा। इस बारे में यह समझ लेना बेहद जरूरी है कि अगर आपका मोबाइल आपके घर में प्राइवेट है तो वो सिर्फ आपके डाटा की वजह से। अगर आपको अपने घर के लोगों से डाटा लीक होने का भय है तो आप खुद किसी अंजान को अपने ही हाथों पैक्ड डाटा कैसे सौंप सकते हैं।
मैं एक बार इंटरनेट क्राइम पर आधारित एक सेमिनार में हिस्सा लेने गया था। वहां मुख्य वक्ता के साथ बातचीत में मैंने एक प्रश्न रखा कि अगर हमारा डाटा किसी भी रूप में सुरक्षित नहीं है तो इसे सुरक्षित रखने के कुछ तो उपाय होंगे। उन्होंने बड़ी सरलता से जवाब दिया कि इंटरनेट से दूर हो जाओ इसके अलावा कोई उपाय नहीं है। अब जबकि सारी दुनिया ऑनलाइन है तो यह उपाय कोई भी नहीं अपना सकता लेकिन अपने डाटा को कम से कम लीक होने देने की जिम्मेदारी से भी हम मुंह नहीं मोड़ सकते।
यहां मैं एक बात साफ कर देना चाहता हूं कि मैं खुद भी टेक्नोलॉजी का एक प्रबल समर्थक हूं और इसलिए आपको डराना मेरा उद्देश्य बिल्कुल भी नहीं है। इस पोस्ट का एक ही मकसद है – आपको भविष्य के खतरे के प्रति सावधान करना।
आप सभी जानते हैं कि जो चीज एक बार इंटरनेट से जुड़ गई वो कभी प्राइवेट नहीं होती। लेकिन कुछ सावधानियों से हम खुद को काफी हद तक सुरक्षित जरूर रख सकते हैं।
कुछ सावधानियां और सुझाव –
1. वही ऐप मोबाइल में रखें जो आपके रेगुलर प्रयोग में हों
2. ऐप्स को प्राप्त अनुमति की समीक्षा अवश्य करें और सभी प्रकार की अनावश्यक अनुमति को वापस ले लें। उदाहरणार्थ, कैलकुलेटर को आपके कैमरा और लोकेशन से क्या मतलब।
3. किसी भी सनसनी को आंख बंद कर ट्राई करने से पहले उसके बारे में पूरी जानकारी जरुर ले लें। याद रखें, मुसीबत अक्सर सनसनी के रूप में ही सामने आती है।
4. जहां तक हो सके अपने फोन को एन्क्रिप्टेड फॉर्म में यूज करें जिससे डाटा को आसानी से डिकोड न किया जा सके।
5. एक अच्छे एंटीवायरस का प्रयोग करें और उसे रेगुलर अपडेट करना न भूलें।
6. किसी भी अंजान लिंक को अपनी डिवाइस में न खोलें
7. वही ईमेल पढ़ें जिसके स्रोत के बारे में आपको पता हो
8. पब्लिक वाईफाई का प्रयोग या तो बिल्कुल न करें या फिर तभी करें जब वास्तव में आप उसके होस्ट को जानते हों या उसे प्रयोग करना आपकी मजबूरी हो।
9. अंजान लोगों के साथ वायरलेस कनेक्टिविटी भूल कर भी न करें। जानकार के साथ भी जरूरत भर ही वायरलेस कनेक्टिविटी रखें। यह डाटा लीक होने का सबसे बड़ा माध्यम है।
10. पब्लिक कंप्यूटर्स पर बैंकिंग या उससे संबंधित काम न ही करें
11. निजी पल महसूस करने के लिए होते हैं। जहां तक संभव हो, निजी पलों को स्टोर करने से बचें। यदि फिर भी स्टोर करना मजबूरी ही हो तो उनकी सुरक्षा का विशेष ध्यान रखें वरना वायरल होती दुनिया में आप खुद कब वायरल हो जाएं, ये किसी को भी नहीं पता।
12. अंजान स्टोरेज डिवाइस और डाटा केबल के इस्तेमाल से बचें
13. प्रयोग किया हुआ उपकरण बेचने से पहले यह जांच कर लें कि आपका कोई महत्वपूर्ण डाटा उसमें रह तो नहीं गया है। यदि आप जागरूक नहीं हैं तो यह जान लें कि फॉर्मेट करने के बाद भी डाटा की डिगिंग संभव है। इसी प्रकार प्रयोग किया हुआ उपकरण खरीदने से पहले जरूर जांच लें कि उसमें कहीं कोई ऐसी सूचना तो नहीं जो आपकी ही सूचना पार कर दे।
सावधानी में उठाया गया हर कदम एक उपाय है। बाकी क़दमों पर विस्तृत चर्चा फिर कभी।
तब तक के लिए – Stay Smart, Stay Safe, Stay Healthy, Have a nice time
Pic credit – Google Search