- इंजेक्शन पद्धति – धरती की प्यास बुझाने का अनूठा तरीका
- जर्मनी की संस्था GIZ ने इस पद्धति का सफल प्रयोग गुजरात और राजस्थान के बाद अब मध्य प्रदेश के श्योपुर में किया है।
- इस पद्धति के तहत हैंडपंप के चारों ओर करीब दस फीट गहरा गड्ढा खोदा जाता है। हैंडपंप के केसिंग पाइप में जगह–जगह एक से डेढ़ इंच व्यास के 1200 से 1500 छेद किए जाते हैं। इसी पाइप के जरिए पानी जमीन में जाता है।
- इससे पहले पानी को साफ करने के लिए गड्ढे में फिल्टर प्लांट भी बनाया जाता है। इस फिल्टर प्लांट में बोल्डर, गिट्टी, रेत और कोयले जैसी चीजें परत दर परत जमाई जाती हैं। इनसे छनने के बाद ही बारिश का पानी छेदयुक्त पाइप तक पहुंचता है।
- पाइप पर जालीदार फिल्टर लगाया जाता है और इस तरह बेहद कारगर Rainwater Harvesting System तैयार हो जाता है
- एक सूखे हैंडपैंप को जलस्रोत रीचार्ज यूनिट बनाने में लगभग 45 हजार रुपए का खर्च आता है लेकिन इसका फायदा उससे कहीं ज्यादा है
- एक खराब हैंडपंप लगभग साढ़े तीन से चार लाख लीटर पानी प्रतिवर्ष धरती के अंदर पहुंचा रहा है जबकि रिकॉर्ड के अनुसार एक सामान्य हैंडपंप से प्रति वर्ष तीन लाख साठ हजार लीटर पानी निकाला जाता है। इस प्रकार एक खराब हैंडपंप एक साल में लगभग उतना ही पानी जमीन के अंदर पहुंचा रहा है जितना एक सही हैंडपंप एक साल में खींचता है
- बायोसीड्स डिस्क के जरिए हरियाली
- उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद के वैज्ञानिकों द्वारा ईजाद तकनीक
- इंसान की पहुंच से दूर वाली जगहों पर ड्रोन की मदद से पहुंचाई जाएगी ये डिस्क
- एक डिस्क में लगभग 50 तरह के पौधों के बीजों का प्रयोग किया गया है
- इसके तहत विभिन्न प्रकार के पौधों का उत्पादन पादप उत्तक संवर्धन (Tissue Culture) विधि द्वारा किया जा रहा है
- सीड डिस्क बनाने की विधि –
- बीज के पौधा बनने के लिए जरुरी 13 तरह के Nutrients को आनुपातिक रुप से मिट्टी के साथ गूंथकर कुछ दिनों तक सुखाने के लिए धूप में रख दिया जाता है
- इस मिट्टी को पुनः मुलायम करके उसमें बीज डालकर एक डिस्क का आकार दे दिया जाता है और पुनः सुखने के लिए धूप में रख दिया जाता है
- डिस्क को बंजर भूमि या व्यक्ति की पहुंच से दूर कहीं भी फेंक दिया जाता है। बरसात में पानी की उपयुक्त मात्रा और मिट्टी में उपस्थित पोषक तत्वों से बीजों को अंकुरित होने में सहायता मिलती है
- अंतरिक्ष यात्रियों का मददगार – रिस्वेराट्रोल
- रेड वाइन में पाया जाने वाला यौगिक
- मांसपेशियों को सिकुड़ने से बचा सकता है
- हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा चूहे पर सफल प्रयोग के पश्चात अनुमान व्यक्त किया गया है कि भविष्य में मंगल मिशन पर जाने वाले अंतरिक्षयात्रियों के लिए रिस्वेराट्रोल सहायक साबित हो सकता है
- Frontier in Psychology नामक पत्रिका में छपे इस शोध के अनुसार रिस्वेराट्रोल की मदद से कृत्रिम गुरुत्वाकर्षण में भी चूहों की मांसपेशियां जस की तस बनी रहीं
- हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के मैरी मोर्ट्रेक्स के अनुसार पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकलने के बाद अंतरिक्ष में केवल तीन सप्ताह में ही मनुष्य की कई मांसपेशियां एक तिहाई तक सिकुड़ जाती हैं।
- ये ऐसी मांसपेशियां होती हैं जो विपरित मौसम में शरीर को उसके अनुकूल रखने में मदद करती हैं। इन मांसपेशियों के सिकुड़ने से अंतरिक्षयात्रियों का काम प्रभावित होता है
- खास तकनीक से चीन द्वारा मच्छरों का सफाया
- दो साल के समय में दो द्वीपों से मच्छरों का सफाया करने में सफलता
- गुआंगझाओ में पर्ल नदी में स्थित दो द्वीपों से एशियन टाइगर नामक प्रजाति का पूरी तरह खात्मा
- विज्ञान पत्रिका नेचर में प्रकाशित शोध के अनुसार इस काम के लिए Incompatible and Sterile Insect तकनीक को मिलाकर प्रयोग किया गया
- SIT एक ऐसी तकनीक है जिसकी मदद से रेडिएशन द्वारा नर मच्छरों को नपुंसक बना दिया जाता है जिसके वजह से कुछ ही समय में धीरे धीरे मच्छर पूरी तरह समाप्त हो जाते हैं
- चीन ने इस प्रक्रिया में वोल्बाचिया बैक्टीरिया की भी मदद ली
- कृषि क्षेत्र में कुछ कीटों को खत्म करने के लिए SIT तकनीक का प्रयोग दशकों से हो रहा है किंतु मच्छरों को मारने में इसका प्रयोग एक नया प्रयास है
- दो साल के समय में दो द्वीपों से मच्छरों का सफाया करने में सफलता
- विविध –
- दुनिया में सबसे ज्यादा मगरमच्छों वाली नदी – टारोल्स नदी (कोस्टारिका)
- कोस्टारिका एक मध्य अमेरिकी देश है
- दुनिया में सबसे ज्यादा मगरमच्छों वाली नदी – टारोल्स नदी (कोस्टारिका)
साभार – दैनिक जागरण (राष्ट्रीय संस्करण) दिनांक 19 जुलाई 2019
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