लतखोर लीला
आओ मिलें कुछ लोगों से, जिनके जिम्मे कोई काम नहीं
बिन तेरी मेरी बातों के, मिलता जिनको आराम नहीं
हों लाखों छेद भले खुद में, पर चालन जेब में रखते हैं
खुद का अंधेरा दिखे नहीं, दूजे की आग से जलते हैं
अपना बच्चा हो भले नाकाम, हर घर में ये देखें नाकामी
हो भूख भले खुद की भारी, दूजे की प्लेट क्यों भरी भरी
कुछ बातें ऐसी भी करते, हों विवश विधाता चिंतन को
जो पता नहीं खुद की खुद को, वो खबर रहे ऐसे जन को
निंदा रस के ये सिद्ध रसिक, हर रस में श्रृंगार की खोज करें
गर कोई रस ना दिखे इनको, खुद गढ़ कर रस ये मौज करें
कुंठा से ग्रस्त ऐसे प्राणी, खुद तो कुछ कर ना पाते हैं
पर दूजे की बढ़ती नैया को, बीच भंवर में फंसाते हैं
आंखें इनकी इतनी तत्पर, राई भी पहाड़ सी दिखती है
वो काम भी पूर्ण बताते हैं, जो शुरू भी नहीं होती है
शादी से पहले बच्चों के भी नाम काम इनको मालूम
घूंघट के अंदर दुल्हन की हर चाल ढाल इनको मालूम
पग हार से प्रेम बहुत इनको, लतखोर कहे ये जाते हैं
सच्चे निंदक की श्रेणी में ये, सुदूर कहीं ना आते हैं
निंदक कबीर का जीवन में, हर पल सुधार ही लाता है
पर ये निंदक बस जीवन का, हर पल तबाह कर जाता है
मत कान धरो इन लोगों पर, बस काम करो और शांत रहो
जलने दो उन्हें जो जलते हैं, बातों पर ना वक्त तबाह करो
बस दूर रहो इस प्राणी से, विचार के भी ये योग्य नहीं
अपनी आदत के कारण ही, सब लब्ध इन्हें पर भोग्य नहीं
बहुत सुंदर लिखा जी
LikeLiked by 1 person
सादर धन्यवाद जी
LikeLiked by 1 person
🙏😊
LikeLiked by 1 person
अच्छा व्यंग किया है आपने.
LikeLiked by 1 person
धन्यवाद 😊
दरअसल ये वही चार लोग हैं जिनकी खोज दुनिया में सब लोगों को है और जिनकी आलोचना के डर से अक्सर मन की बात मन में ही दबा दी जाती है। औकात तो इनका रत्ती भर भी नहीं होता लेकिन जीवन को खुलकर जीने की राह के सबसे बड़े कांटे यही लोग होते हैं
LikeLiked by 1 person
बिल्कुल सही है ये चार लोग ही तबाह करके रखे है
LikeLiked by 1 person
हां जी
और ये लोग हर घर और हर जगह कीटाणुओं की भांति विद्यमान हैं
LikeLike