- पहली बार रक्षा प्रदर्शनी उत्तर प्रदेश में
- The DefExPo – देश की सबसे बड़ी रक्षा प्रदर्शनी का 11वा संस्करण
- आयोजन की संभावित तिथि – 5 – 8 फरवरी 2020
- आयोजन स्थल – उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ
- देश – विदेश की सबसे बड़ी हथियार निर्माता कंपनियों की भागीदारी
- पिछले संस्करण का आयोजन अप्रैल 2018 में चेन्नई के पास तिरुविदनताई में हुआ था
- विज्ञान और परंपराएं
- आम तौर पर इन दोनों को परस्पर विरोधभासी माना जाता है। कई बार यह भी समझ लिया जाता है कि परम्पराओं के प्रति विद्रोह के कारण ही विज्ञान की उत्पत्ति हुई किन्तु फिर भी परंपराएं हमारे दैनिक जीवन में इस हद तक विद्यमान हैं कि किसी भी महत्वपूर्ण कार्य करने से पहले उनका पालन किया ही जाता है। आइए जानते हैं कि हमारा इसरो और दुनिया की अंतरिक्ष एजेंसियां कौन कौन सी परम्पराओं का पालन करती है :-
- 13 अंक से दूरी
- आम अवधारणा के मुताबिक 13 अंक को अशुभ माना जाता है। यहां तक कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपोलो – 13 की असफलता के बाद किसी भी मिशन का नाम 13 अंक पर नहीं रखा है।
- भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने भी 13 अंक से दूरी बनाते हुए रॉकेट पीएसएलवी सी 12 के बाद सीधा पीएसएलवी सी 14 को अपना सारथी बनाया
- मंगलवार को परहेज
- आमतौर पर इसरो मंगलवार को कोई अंतरिक्ष मिशन नहीं भेजता।
- हालांकि मार्श ऑर्बिटर मिशन इस परम्परा का एक अपवाद है
- नई शर्ट का नियम
- रॉकेट लॉन्च होने के दिन संबंधित प्रोजेक्ट निदेशक द्वारा नई शर्ट पहनने की परम्परा अनवरत जारी है
- त्रिपुंड का अंकन
- इसरो की सभी मशीनों और यंत्रों पर कुमकुम से भगवान शिव के माथे पर बने त्रिपुंड का अंकन अवश्य होता है
- भगवान वेंकटेश्वर की पूजा
- लॉन्चिंग से पहले इसरो के प्रमुख वैज्ञानिक आंध्र प्रदेश के तिरूमाला में भगवान वेंकटेश्वर की पूजा करते हैं और मिशन की सफलता के लिए रॉकेट का एक छोटा मॉडल चढ़ाते हैं
- नासा और रूसी एजेंसी समेत दुनिया की अन्य एजेंसियां भी विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन करती हैं
- राहू कालम में उल्टी गिनती नहीं
- इसरो के मुताबिक डेढ़ से दो घंटे का यह समय किसी भी नए काम की शुरुवात के लिए अशुभ होता है
- हालांकि अंतरग्रहीय अभियानों में शुभ समय का पालन संभव नहीं हो पाता, अतः उल्टी गिनती शुरू करने के लिए रॉकेट के गंतव्य ग्रह की कक्षा में प्रवेश करने के समय पर राहू कालम का ध्यान रखा जाता है
- रूस की अजीबोगरीब प्रथा
- रूसी अंतरिक्ष यात्री अपनी यात्रा के लिए प्रयुक्त होने वाले यान को तब तक नहीं देखते, जब तक वे उसमें बैठ नहीं जाते।
- मूंगफली खाने की प्रथा
- नासा के किसी भी मिशन लॉन्चिंग के समय जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में बैठा हर वैज्ञानिक मूंगफली खाता है
- 1960 में रेंजर मिशन के 6 बार असफल होने के बाद सातवें प्रक्षेपण के समय मिली सफलता के समय कोई वैज्ञानिक मूंगफली खा रहा था। तभी से यह परंपरा चली अा रही है
- नाश्ते का तय मेन्यू
- नासा के किसी भी मिशन के लॉन्च होने से पहले नाश्ते में सिर्फ अंडा, भुजिया और मांस मिलता है
- यह प्रथा पहले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री एलेन शेफर्ड और जॉन ग्लेन के समय से चली आ रही है
- दाहिने पहिए पर मूत्र त्याग
- रूस के अंतरिक्ष यात्री लॉन्च पैड तक ले जाने वाली बस के दाहिने पहिए पर मूत्र त्याग करते हैं। यह परम्परा 12 अप्रैल 1961 को यूरी गागरिन द्वारा एक सफल मिशन पर जाने से पहले परिस्थितिवश अनजाने में शुरू की गई थी
- 13 अंक से दूरी
- आम तौर पर इन दोनों को परस्पर विरोधभासी माना जाता है। कई बार यह भी समझ लिया जाता है कि परम्पराओं के प्रति विद्रोह के कारण ही विज्ञान की उत्पत्ति हुई किन्तु फिर भी परंपराएं हमारे दैनिक जीवन में इस हद तक विद्यमान हैं कि किसी भी महत्वपूर्ण कार्य करने से पहले उनका पालन किया ही जाता है। आइए जानते हैं कि हमारा इसरो और दुनिया की अंतरिक्ष एजेंसियां कौन कौन सी परम्पराओं का पालन करती है :-
- हिमा दास – एक महीने में पांचवां स्वर्ण
- ढिंग एक्सप्रेस के नाम से मशहूर
- पहला स्वर्ण – 200 मीटर एथेलेटिक्स ग्रां प्री, पोलैंड, 02 जुलाई 2019
- दूसरा स्वर्ण – 200 मीटर एथेलेटिक्स मीट, कुत्नो, पोलैंड, 07 जुलाई 2019
- तीसरा स्वर्ण – 200 मीटर एथेलेटिक्स मीट, क्लाडनो, चेक गणराज्य, 13 जुलाई 2019
- चौथा स्वर्ण – 200 मीटर एथेलेटिक्स मीट, तबोर, चेक गणराज्य, 17 जुलाई 2019
- पांचवां स्वर्ण – 400 मीटर अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा, नोव मेस्टो, चेक गणराज्य, 20 जुलाई 2019
- ढिंग एक्सप्रेस के नाम से मशहूर
- ओरियन क्रू – उड़ान को तैयार
- नासा का पहला मानवरहित कैप्सूल चंद्रमा पर जाने को तैयार
- अपोलो 11 की चांद पर लैंडिंग के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में अमेरिकी उपराष्ट्रपति माईक पेंस द्वारा घोषणा
- इस मिशन का नाम आर्टिमिस – 1 रखा गया है
साभार – दैनिक जागरण (राष्ट्रीय संस्करण) दिनांक 22 जुलाई 2019
Wow….this is a invaluable webpage.|
LikeLike