पर्यटन पर्व 2019
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि पिछले 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती मनाई गई। वर्ष 2019 स्वच्छता अभियान के मामले में भारत सरकार के लिए बहुत महत्वपूर्ण वर्ष रहा है और अभी कुछ ही दिन पहले प्रधानमंत्री ने देश को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया है जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है।

इसी मिशन के मद्देनजर भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने इंडिया गेट पर 2 से 6 अक्टूबर के बीच पर्यटन पर्व का आयोजन किया। इस पर्व में देश के विभिन्न राज्यों और संगठनों ने बढ़चढकर हिस्सेदारी की और अपनी विशेषताओं से आम जनता को रूबरू कराया।

मैं और मेरे प्रिय मित्र मनीष जी 2 अक्टूबर से ही इस पर्व का हिस्सा बनने की योजना बना रहे थे किन्तु समयाभाव और काम की अधिकता के कारण यह फलीभूत नहीं हो पा रहा था। अंततः हम लोगों ने निश्चय किया कि 6 अक्टूबर को इस पर्व में जाना ही है। कहते हैं न – जहां चाह, वहां राह। और हम लोग 6 अक्टूबर की शाम को इंडिया गेट पहुंच गए। सुरक्षा जांच के बाद अन्दर कदम रखते ही इस पर्व की भव्यता का अहसास हो गया।

राजपथ पर आयोजित इस पर्व में एक छोर पर जहां भव्य राष्ट्रपति भवन है वहीं दूसरी तरफ इंडिया गेट की शानदार छटा।

राजपथ के दोनों तरफ हरी हरी घास में हौले हौले चलने का एक अलग ही आनंद है। ऐसे में एक जीवंत मंडली और तेजस जैसे नटखट बालक की लीलाएं माहौल को यादगार बना देने वाली होती हैं।

एक तरफ जहां राज्यों की विशेषताओं को समेटे हुए उपयोगी सामान और खाने पीने की दुकानें थीं तो दूसरी तरफ एक जागरूक जनता, जिसने यह ठान लिया था कि न गंदगी फैलाएंगे और न ही फैलने देंगे।

आपको जानकर हर्ष होगा कि इतने बड़े आयोजन के बावजूद हमें कहीं भी एक पत्ता तक जमीन पर पड़ा हुआ नहीं दिखा और छोटे छोटे बच्चे भी स्वेच्छा से कूड़ेदान का उपयोग करते दिखे जो वास्तव में एक बहुत बड़ा बदलाव है।

एक और खास बात यह रही कि थोड़ी थोड़ी दूरी पर साफ पीने के पानी की उपलब्धता का विशेष ध्यान रखा गया था जहां कागज के कप और वाटर डिस्पेंसर के साथ साथ कूड़ेदान की भी व्यवस्था थी। इन स्टॉल्स पर भी एक भी कप जमीन पर पड़ा हुआ नहीं दिखा जिसके लिए आयोजक और उपयोगकर्ता दोनों ही बधाई के पात्र हैं।

पर्व को और अधिक गरिमामय बनाने में भारतीय सेनाओं के बैंड ग्रुप ने कोई कसर नहीं छोड़ी और यह एक ऐसा स्थान था जहां सबसे अधिक भीड़ देखने को मिली। वास्तव में उनकी प्रस्तुति ने जो शमा बांधा उसने उस शाम का आनंद कई गुना बढ़ा दिया।

कुछ स्थानों पर स्वयंसेवी समूहों द्वारा जागरूकता फैलाने के लिए नुक्कड़ नाटकों का आयोजन किया जा रहा था तो वहीं दूसरी तरफ मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान द्वारा योग की क्रियाएं प्रदर्शित की जा रही थीं। इसके साथ साथ संस्थान द्वारा लोगों को योग का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा था और इच्छुक लोगों को योग से संबंधित बुकलेट मुफ्त में वितरित की जा रही थी। इस बुकलेट में योग की विभिन्न क्रियाओं के विषय में बड़े ही सुन्दर ढंग से समझाया गया है।

किसी भी प्रकार की आकस्मिक जरूरत से निपटने के लिए एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड और पुलिस की सेवाएं लगातार तत्पर और उपलब्ध थीं।
विभिन्न प्रकार के व्यंजनों के बीच जब बात विश्व प्रसिद्ध लिट्टी चोखे की हो तो भला कौन इंकार कर सकता है। खुले आसमान के बीच हरी घास पर परिवार के साथ स्वादिष्ट लिट्टी चोखे का जो आनंद है वो बस खाने वाला ही समझ सकता है। ऐसे में हम भला इस आनंद से खुद को कैसे दूर रख सकते थे? बस, फिर क्या था, पहुंच गए झारखंड के स्टॉल पर और टूट पड़े लिट्टी चोखे की प्लेट पर 😀। कागज की प्लेट और लकड़ी की चम्मच ने यह संदेश भी दिया कि मेले को प्लास्टिक मुक्त रखने का पूरा प्रयास किया गया है। किसी भी दुकान पर प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग होता हुआ नहीं दिखा और जहां तक संभव हो सका, रिसाइकल्ड कागज के लिफाफों और अखबार का प्रयोग किया गया।

जब मेले का माहौल हो और बचपन साथ हो तो बच्चा बन जाने को बरबस ही जी करता है। तेजस की उपस्थिति ने हमें एक बार फिर बचपन की गलियों में जाने का अवसर दिया और हम लोगों ने बड़े दिनों के बाद “बुढ़िया के बाल” का भी आनंद लिया। जिन लोगों ने यह आनंद प्राप्त किया है वो इसकी खुशी को अच्छे ढंग से समझ सकते हैं।

आयोजक वर्ग ने हर आयुवर्ग के लिए बहुत ही खास इंतजाम कर रखा था। आधुनिक दौर में कोई भी इंतजाम तब तक अधूरा है जब तक कि वहां कोई सेल्फी प्वाइंट न हो। आयोजकों ने इस बात का भी पूरा ध्यान रखा था और हर प्रकार के आयु वर्ग के लिए ढेर सारे फोटोग्राफी लोकेशन पूरे मेले में जगह जगह पर लगाए गए थे जो मेले की थीम के सर्वथा अनुरूप थे।



इस शाम में हम सब ऐसे खोए कि कुछ समय के लिए बनाया गया प्लान कुछ घंटों में कब तब्दील हो गया, पता ही नहीं चला। बटर स्कॉच आइसक्रीम का आनंद लेते हुए हमने वापस घर की तरफ प्रस्थान किया। इस पर्व के यादगार के रूप में कुछ खरीददारी और ढेर सारी मस्ती के साथ साथ बहुत सारी कभी न भूलने वाली यादें भी हमारे साथ थीं।
जिस तरह से मेले का सारा प्रारूप प्लान किया गया था वह किसी मैनेजमेंट ट्रेनी या किसी भी अन्य व्यक्ति के लिए एक सीखने लायक विषय था। समुचित प्लैनिंग और इफेक्टिव इवेंट मैनेजमेंट की झलक बिना बताए स्पष्ट दिखाई पड़ रहे थे जिसके लिए आयोजक वर्ग निश्चित रूप से प्रसंशा का पात्र है।
इस पर्व में एक बात उभर कर सामने अाई कि जिस आदत को प्रधानमंत्री ने एक अभियान का रूप दिया था वह आदत अब धीरे धीरे लोगों की जीवन शैली का हिस्सा बनती जा रही है। स्वच्छता अभियान अब जनांदोलन का रूप लेता जा रहा है और एक बड़ी जनसंख्या की आदतों में बहुत बड़ा सुधार देखने को मिला है। स्वच्छता अभियान की सबसे अच्छी बात यह रही कि इसने आने वाली पीढ़ी को बचपन से ही स्वच्छता के प्रति जागरूक बना दिया और अब बच्चे इस अभियान के वास्तविक ब्रांड एम्बेसडर बन कर सामने आए हैं।
आप सभी को विजयादशमी और वायु सेना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
अच्छा पोस्ट. सारी तस्वीरें बहुत सुंदर है.
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सादर धन्यवाद 🙏
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पर्यटन पर्व एक अनूठी उपलब्धि
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सादर धन्यवाद 🙏😊
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