काव्य श्रृंखला – 60 22Jul 2021Add a comment प्रेम ही तो लिखता हूं स्पर्श मधुरनख शिख वर्णनप्रिय काम कला नहीं लिखता हूं सुंदर गातेंकटि, अधर, वलयबस युवा प्रणय नहीं लिखता हूं जीवन रसदिल की बातेंजो लखता हूं, वही लिखता हूं अपरा वयवहम विलग करकेहां, प्रेम ही तो मैं लिखता हूं © Arun अर्पण Share with friends :TweetTelegramWhatsAppEmailPrintShare on TumblrPocketLike this:Like Loading... Related