प्रकृति का उपहार
कोयलों की कूक कहीं पपीहों का गान सुनो
प्यारी ये प्रकृति मधुर संगीत सुनाती है
हरे भरे कोपलों से मन को प्रफुल्ल करो
कोमल मुलायम पत्ती अधर भी खिलाती है
लाल नीले पीत खिले फूलों की छटा न्यारी
मानवों के साथ देवताओं को रिझाती है
छोड़ो कुछ देर घर ईंट और पत्थर का बना
क्षितिज तक विस्तृत गृह प्रकृति सजाती है
बिस्तर पर लेट लेट मोटा तन बुद्धि किया
सबको स्वस्थ करने में जान अब जाती है
चलो कुछ देर प्राणायाम और व्यायाम करें
मुफ्त में प्रकृति सारे रोगों को भगाती है
© Arun अर्पण