दिल है,जज्बात है।
आरजू है,इल्तिज़ा है।
बस तेरा इज़हार करना बाकी है।
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आग है,आगाज है।
धूप है,साँझ है।
बस तेरा मुझमे ढलना बाकी है।
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रंग है,रूप है।
तेरी ही प्रतिरूप है।
मेरे रूह में अब पिघलना बाकी हैं।
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इश्क़ है,बेहद है।
बेपनाह है,बेगरज है।
मेरे तसब्बुर में तेरा निखरना बाकी है।
Kya baat hai dear Shayarana and andaj hai.
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TQ Sir 😊🙏🏻
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