कृष्ण सा प्यार हो, राधा सा इंतज़ार हो प्यार का इज़हार हो, भरपूर ऐतवार हो प्रेम का उपवन हो, प्रेम का गुलज़ार हो दोनों के गले में,प्रीत का गुलहार हो गोपियों सँग रास हो,खुशियों की फुहार हो रिमझिम बरसात हो,अलग ही खुमार हो प्रेम राग मल्हार हो, फूल हरसिंगार हो राधाकृष्णा के प्रीत में, झूमता संसार हो मोहिनी की सूरत पर, मोहन का श्रृंगार हो थिरकते पैरों में, मिलन की झंकार हो अंग अंग थिरकने लगे, ऐसी बयार हो आँखों का दीदार हो, प्रेम का त्यौहार हो प्रणय का निवेदन हो, विरह का ना गान हो कृष्ण प्रेम की लय में, मदमस्त आसमान हो राधा कृष्ण के प्राण हो, कृष्ण का अभिमान हो राधा के हृदय में सदैव, कृष्ण विराजमान हो
अतिसुंदर शब्दावली और सृजन 👌👌
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TQ Sir 😊🙏🏻
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