निश्चित नया सवेरा होगा, मैं तेरा तू मेरा होगा।
कुदरत की जो घात हुई है।
काली मावस रात हुई है।
मातम का गम का साया है।
हमने क्या खोया-पाया है!
इस पल का अहसास करें हम।
मन को मन का दास करें हम।
भले अभी ना मिल सकते हैं।
पर खुद में खुद खिल सकते हैं।
नए रंग में नई तूलिका, मानव नया चितेरा होगा।
मैं तेरा तू मेरा होगा, निश्चित नया सवेरा होगा।
कदम बढ़ाएं फिर संभलें हम।
नागफनी का फन कुचले हम।
फिर से खेती हो खुशबू की।
फिर से चमक दिखें जुगनू की।
जड़ें पुरातन, शाखें नूतन।
याद करें जी सत्य सनातन।
आज बनें हम भाग्य विधाता।
झूम उठेगी धरती माता।
नई ईद ये नई दिवाली, नया सृष्टि का फेरा होगा।
मैं तेरा तू मेरा होगा, निश्चित नया सवेरा होगा।
अगर वक्त नाजूक बडा है।
दुश्मन भी अदृश्य खडा है।
लेकिन अपना हृदय कडा है।
अपनी जीद पर अटल अडा है।
कर्मवीर इस भू का हरपल
पीने को तैयार हलाहल।
मिलकर नई इबारत लिखकर।
सकल जगत पर भारत लिखकर।
नए गगन में नई उडानें, जगमग नया बसेरा होगा।
मैं तेरा तू मेरा होगा, निश्चित नया सवेरा होगा।