
बड़ी नाचीज़ है ये गुल तेरे होंठो के आगे देखकर तुम्हें काँटो का भी दिल जले
सुना है खेलता है रोज जुगनुओं के संग देखकर तुम्हें अंधेरी रात का भी दिल जले
ऐसे मासूम सी अदा से ना मुझको छेड़ो
देखकर तुम्हें चिराग़ का भी दिल जले
उठाओ ना नक़ाब तुम मेरे रुख़ से हुज़ूर
देखकर तुम्हे चाँद का भी दिल जले
छुप कर आते तुम मुझसे रोज मिलने देखकर तुम्हें सुनी राह का भी दिल जले