
मैं घूमूँ गलियारे इश्क़ के,तेरे कदमों पे रुक जाऊँ..
त्याग कर मैं अपनी आज़ादी,तेरी बंदगी में मर जाऊँ..
मैं जोगन तेरी प्रीत की,तुझे ताउम्र देखती जाऊँ..
मैं कविता बन कवि की,तुझे लफ्ज़ लफ्ज़ लिख जाऊँ..
मैं सागर की लहरों सी,तेरे कदमों को छु जाऊँ..
जोगन मैं तेरी प्रीत की,तेरी धुन पर नाचती जाऊँ..
जो लगे तुझे प्यास ज़रा सी,बूंद बूंद बरस जाऊँ..
मैं काया तेरे हर श्वास की,तुझे अपनी उम्र दे जाऊँ..
मैं टूटी माला प्रीत की,तेरे हाथों में फिर संवर जाऊँ..
मैं मिट्टी की सौंधी खुशबु,तू बरसे मैं महक जाऊँ..
तू गाये गीत जो प्रेम के,तेरी साँसों में घुल जाऊँ..