अगर मुझे अचानक मौत आ जाये
फिर वो रात कैसी होगी
अगर ये दिल धड़कना भूल जाये
तो सांस कैसी होगी।
कल के लिए मैंने बहुत कुछ सोच रखा था,
अगर आँख ही ना खुले तो कल की सुबह
कैसी होगी,
पता नही कल का सूरज नसीब हो या ना हो।
जो हमारे अपने है,करीबी है,उनके चेहरे
का भाव क्या होगा, कौन ख़ुश और कौन
ग़म में होगा
कौन मुझे अच्छा कौन बुरा कहेगा।
जाने कितने अरमान सजाएं थे,उन
अरमानों का क्या होगा,
जो मैंने अपनी पसंद की चीज़ें खरीदी थी
उनका क्या होगा।
जो छुपा के रखे है कुछ चीज़ें,जरूरत पर
काम आने के लिए उनका क्या होगा, कोई
चोर तो नहीं कहेगा हमें..…?
आँखों मे खौफ़ और दिल मे एक सवाल
रहता है,मेरे जाने के बाद मेरी अहमियत
क्या रहेगी,कौन याद रखेगा,कौन
भूल जाएगा
काश ये मौत अचानक नहीं, पहले से इत्तिला कर आती,
फिर समेट लेती जिंदगी के हर लम्हों को
अपनी आग़ोश में,जी लेती दो पल में सारी
जिंदगी,
जाने कितनी सोच के साथ ये पलके रोज़
बंद होती है,और रोज सुबह
किसी नई जिंदगी की शुरुआत होती है।