सुनो
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माना बड़ी उलझनों में है
उलझी जिंदगी आपकी
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बड़ी सादगी से फर्ज भी
निभा रही है जिंदगी आपकी
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हम कहा इलजाम लगाते है
आप पर लेकिन हम चाहते है
मोहब्बत आपकी
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हमे तो ये पता करना है
किस हद तक जा सकते हो
मेरी जान
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फसलों के दायरे में जिंदगी
आपकी
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लेकिन कभी खुद का हाले
दिल बयान ना कर पाओ ये
कैसी मोहब्बत आपकी
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जब तक आप कह न सकोगे
जिंदगी अपनी संवार ना
सकोगे
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कुछ तो कदम बढ़ाने होगे
है मोहब्बत तो साथ निभाने होगे
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कब तक आप यूं खामोश रहोगे
अपनी खुशियों से दूर रहोगे
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बड़ी कठिनाइयों में है जिंदगी
आपकी किस तरह से होगी
बसर जिंदगी आपकी
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– काव्य सागरिका