सा सा रे रे,बांसुरी की धुन,
नि सा नि सा रे,मीरा जोगन,,
चरण पखारन, ज्यों बंजारन,
कान्हा की वो,बनी पुजारन…
मन मंदिर में,कान्हा का दर्पण,
नि सा नि सा नि सा रे,मीरा जोगन,,
मंदिर जाती, थाल सजाती,
कुमकुम केसर,मीरा के मोहन…
चरण पखारन,कान्हा को निहारन,
अपना सब कुछ,मोहन पे अर्पण,,
सा सा रे रे, नि सा नि सा नि सा रे,
इक बंजारन,कान्हा की जोगन…
कान्हा मन में,कान्हा के संग संग,
जीवन अर्पण,सब तुझे समर्पण,,
धीरे धीरे,श्याम के रंग में,
चुनरी रंग दी,मीरा रंगरेजन…
मन में कान्हा,कान्हा में जीवन,
विष का प्याला,पी गई जोगन,,
सा सा रे रे,नि सा नि सा नि सा रे,
विष अमृत बना,लीलाधर मोहन…
कान्हा की मूरत,सामने जोगन,
मीरा के प्रभु,गिरधर मोहन,,
लीन हुई वो, तल्लीन हुई वो,
कान्हा की मूरत,मूरत में जोगन…
द्वारकाधीश की,मूरत में समा गई,
मन में कान्हा,कान्हा में जोगन,,
सा सा रे रे,नि सा नि सा नि सा रे,
नाच रहा मन,मीरा संग मोहन…
सा सा रे रे, बांसुरी की धुन,
मीरा के मोहन,मोहन की पुजारण,,
नि सा नि सा नि सा रे, गाए ये मन,
बांसुरी की धुन,नाचे मेरा मन…!!