शिव में शक्ति, शिव है भक्ति, शिव मुक्ति के द्वार है।
शिव ही सत्य है शिव ही सुंदर, शिव सृष्टि के आधार है।
सुर असुर,दोनो ने पूजा, शिव समान,कोई न दूजा।
शिव ही मोह है शिव ही माया, जिसने पुजा उसने पाया।
शिव ही अन्त है वो ही शुरू है, तीनों लोक के वो ही गुरु है।
दुनिया के सत्कर्म शिव है, और सत सनातन धर्म शिव है।
जब संकट भक्तों पे आया, सारे जग को उसने बचाया, भक्तो पर करुणा बरसाते, वो करुणा के अवतार है।
अजर अमरअविनाशी शिव है, सती पति कैलासी शिव है।
नित नंदी की करे सवारी, महादेव शिव डमरूधारी, त्रिनेत्र शिव है नमः शिवाय, सारे सूर्य है इनमे समाए, तीजा नेत्र है प्रलय मचाए, खुले तो सृष्टि भस्म हो जाए।
आदि नाथ अनंत शिव है, महावैरागी सन्त शिव है।
शिव से शिवमय दुनिया सारी, ये दुनिया के पालनहार है।
दिन रात करे जो ध्यान शिव का, उनका शिव ही सुख संसार है, दर्शन मात्र से ही शिव के हो जाता भाव सागर पार है।