कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 65 7 Nov 20217 Nov 2021 मर जाना बहुत जरूरी है समझे न मनुज नौकर कहकरबंधुआ रख पेट जलाता हैखुद छप्पन भोग छके छककरनौकर भूखा सो जाता हैकोई न सगा उसका फिर भीपरिवार समझ सह जाता…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 64 18 Sep 202119 Sep 2021 इंसान बनाम कुत्ता तब इंसान पालता था कुत्ताअब इंसान पालता है, कुत्ताबाइक सवार देखा एक दिनपट्टा था एक व सवारी तीनथा मजेदार कुछ अलबत्ताविस्मित अर्पण हक्का बक्कादोनों के गले एक…
कविता/poetry… काव्य श्रृंखला – 63 22 Aug 202122 Aug 2021 खुशियों की राखी बातों नातों में सरस मधुमयखटके क्यों युति उसकी चपलाएक नार सृजित सर्जित सकलाकर्तव्य सृजन फिर क्यों अबला पय सुधा पिला बनी मातृ मधुरसमरस समोदर भगिनी सबलाजब धार…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 62 9 Aug 2021 मानव बनाम चप्पल टूटी चप्पल, हुई विचलित नारचुपचाप खड़ी मोची के द्वारपतले प्लास्टिक में बंधी चप्पलना थी खुलने की जिद पर यार निष्ठुर मोची था धुन में मगनललना को नजर…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 61 2 Aug 2021 प्रकृति का उपहार कोयलों की कूक कहीं पपीहों का गान सुनोप्यारी ये प्रकृति मधुर संगीत सुनाती हैहरे भरे कोपलों से मन को प्रफुल्ल करोकोमल मुलायम पत्ती अधर भी खिलाती हैलाल…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 60 22 Jul 2021 प्रेम ही तो लिखता हूं स्पर्श मधुरनख शिख वर्णनप्रिय काम कला नहीं लिखता हूं सुंदर गातेंकटि, अधर, वलयबस युवा प्रणय नहीं लिखता हूं जीवन रसदिल की बातेंजो लखता हूं, वही…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 59 21 Jul 2021 बेखुद ख्वाहिशें मैं शराबी नहीं हूं मगर, हमकदमएक ख्वाहिश है नजरों से पीता चलूं बेखुदी में भी ठिठकें न बढ़ते कदमलड़खड़ाऊं मगर उठकर जीता चलूं नासमझ हूं सुरों और सरगम…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 58 7 Jun 2021 हमला : एक दर्दभरी दास्तान मौके कुछ ऐसे आते हैंमानव जीवन परिपाटी मेंअभिमान धरा रह जाता हैमिलता है दंभ जब माटी में बेबस मानव बेकल फिरताफिर भी न बचा पाता…
कविता/poetry… (repost) शायरी – 35 5 Jun 20215 Jun 2021 पर्यावरण सुरक्षा – हम सबकी जिम्मेदारी। इसी विषय पर केन्द्रित है आज की शायरीशायरी – 35
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 57 14 May 2021 सौदा .....!!!!! सांसों की लड़ीघटती हर घड़ीआतुर रिश्ते करते सौदाजीने पर जीवन भर सौदामरने पर शव का भी सौदा रुकती सांसेंमरती आसेंमुद्रा पर सेहत का सौदाजीने पर चलने का सौदामरने…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 56 1 May 2021 उफ्फ! तेरी गिनती गिनती की होड़ मची सगरीहै खेल समूचा गिनती काबच जाए कोई वो भी गिनतीमर जाए कोई वो भी गिनतीमेरी गिनती सबसे बेहतरमरने की दर सबसे बेहतरकुछ जुटा…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 55 26 Feb 202126 Feb 2021 तकनीक वाला आदमी निर्णय स्वयं लेना जहां दुश्वार बन जाएबरसात का पानी जहां मझधार बन जाएअच्छी नीयत का काम भी जंजाल बन जाएजिंदा हो तन पर आत्मा कंकाल बन जाए…