Photography एक खत पुरानी यादों के नाम 12 May 202212 May 2022 एक ख़त लिख रही हूँ, पुरानी यादों के नाम वो भूली बिखरी एहसासों के नाम कैसी हो,क्या तुम्हें मेरी याद आती नही मैं अच्छी तो हूँ, पर तुम्हारी याद दिल…
Photography मां ❤️ 8 May 202211 May 2022 धरती और प्रकृति के प्रेम को ऊँगली से कैसे नापू?इतने कम शब्दों में माँ तुम पर कविता कैसे आँकू?सुबह की प्रार्थना से लेकर,शाम की नमाज़ तकदुआओं में शामिल है हम…
Photography मां 8 May 2022 मेरे हौसलों की उड़ान है मेरी माँ ,मेरे ऊंचाईयों की पहचान है मेरी माँ ,मेरे ख्वाहिशों का आसमान है मेरी माँ ,मेरे बागीचे की बागवान है मेरी माँ ।गर भगवान…
Photography 6 May 2022 तुम्हारे अलावा किसी और को देखकर मुस्कुराया नहीं करते...अरे मेरी जान हो तुम किसी और पर ये दिल लुटाया नहीं करते...
Photography मेरी जिंदगी की साइकिल ! 5 May 2022 ढलते सूरज की अधूरी शाम और चिड़ियों से भरा खुला आसमान ,अपने साइकिल के हैंडल को हाथ मे थामे चुपचाप खड़ी यादों की दुनिया मे गुम कहीं ,जैसे कुछ वो…
Photography नया सवेरा 2 May 2022 निश्चित नया सवेरा होगा, मैं तेरा तू मेरा होगा।कुदरत की जो घात हुई है। काली मावस रात हुई है।मातम का गम का साया है। हमने क्या खोया-पाया है!इस पल का…
Photography मां की गुड़िया बनना था कांच की गुड़िया बन गई मैं…. 27 Apr 2022 मां की गुड़िया बनना था कांच की गुड़िया बन गई मैं...ना गले लगाया किसी ने अबतक पर रोते सबने देखा हैनफ़रत देखी आंखों में जिसने भी अब तक देखा हैएक…
Photography ये लड़कियां न जाने कितना दर्द सहती हैं…… 16 Apr 2022 ना जाने ये लड़कियां कितना दर्द सहती हैंमां की लाडली अब मां बिन अकेली ससुराल में रहती हैंसास के ताने सुन देवर की फटकार पर ये कुछ ना कहती हैंना…
Photography एक नन्ही सी जान की पुकार 9 Apr 2022 एक नन्ही सी जान की पुकार एक सवाल मेरा भी सुन लो मैं धरती की पुकार हूँ मैं जन्मी एक नन्ही सी जान इंसानियत पर धिक्कार हूँ बुझ गया सारा…
Photography मैं धारणा नहीं तुम्हें सच दिखा रही हूं। 8 Apr 2022 यकीन...।मै धारणा नही ,तुम्हे सच दिखा रही हूँ । जो तुम हो ,उससे अवगत तुम्हे-करा रही हूँ ।मै बन जाऊ आगर हमसफर तुम्हारी ,तो क्या तुम निभा भी लोगे ,ये…
Photography राधे कृष्ण 🙏🏻 5 Apr 20225 Apr 2022 कृष्ण सा प्यार हो, राधा सा इंतज़ार हो प्यार का इज़हार हो, भरपूर ऐतवार हो प्रेम का उपवन हो, प्रेम का गुलज़ार हो दोनों के गले में,प्रीत का गुलहार हो…
Photography मैं आधुनिक युग की शायद न लगूँ, क्योंकि मुझे पसंद है माथे पर बिंदी और बोली में हिंदी, मुझे मेरे पोशाक से गंवार न समझना।मैं गाँव से हूँ 22वीं सदी भी जानती हूँ, लेकिन मैं गाँव से हूँ।ये मेरे लिए सम्मान होगा कम से कम मेरे जरिये ही सही तुम गाँव को देखोगे।दिखावा, आधुनिकता झूठे आडम्बर से भरे लोगों के बीच तुम मुझे 18वीं सदी का ही समझना….. 30 Mar 202230 Mar 2022