समसामयिकी⁄Current Affairs… समसामयिकी – 31 जनवरी 2022 31 Jan 202231 Jan 2022 विषय – वस्तु भारत में 75 प्रतिशत वयस्क आबादी का पूर्ण टीकाकरण् संपन्न रुस द्वारा हमले की स्थिति में यूक्रेन सैनिक मोर्चे पर अकेले ऑस्ट्रेलियन ओपन पुरुष एकल खिताब ऑस्ट्रेलियन…
समसामयिकी⁄Current Affairs… समसामयिकी – 30 जनवरी 2022 30 Jan 202230 Jan 2022 विषय – वस्तु ला–नीना का प्रभाव फरवरी अंत तक पहली मालगाड़ी मणिपुर पहुंची ऑस्ट्रेलियन ओपन महिला एकल खिताब current-affairs-30-jan-2022Download
समसामयिकी⁄Current Affairs… समसामयिकी – 29 जनवरी 2022 29 Jan 202229 Jan 2022 विषय – वस्तु भारत मिसाइल निर्यातक देशों में शामिल जोधपुर आइआइटी द्वारा नई कोरोना जांच तकनीक विकसित भारत के पहले ʺबैड बैंकों‘ को मंजूरी भारत के नए मुख्य आर्थिक सलाहकार…
समसामयिकी⁄Current Affairs… समसामयिकी – 28 जनवरी 2022 28 Jan 202228 Jan 2022 विषय – वस्तु असम में अनूठी मंत्रीमंडलीय घोषणा काेविशील्ड एवं कोवैक्सीन अब बाजार में कयर जियो टेक्सटाइल current-affairs-28-jan-2022Download
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 49 13 Sep 202013 Sep 2020 चंचल मन, अल्हड़ सी लड़की प्रत्येक सामान्य मध्यमवर्गीय लड़की को समर्पित एक कविता © Arun अर्पण
शायरी शायरी – 48 2 Sep 2020 अर्पण यारी नाग की, भली जो चाहो मौतप्रेम प्रहार समान हैं, चुंबन में भी खोट © Arun अर्पण
बातें - मेरी और आपकी बातें – मेरी और आपकी – 15 17 Aug 202017 Aug 2020 Liabster Award Nomination Hello everyoneMy fellow writers have been kind enough to nominate me for various blogging awards and I am very thankful to them for their kind admiration. However,…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 48 3 Aug 2020 आज का रक्षाबंधन बिन बहन के भाई, बात सुनोसूनी हो कलाई तो बात गुनोगाली से बहन को बरी रखोहर ललना में एक बहन लखो भ्राता न सहोदर हो जिसकावो बहन…
शायरी शायरी – 47 2 Aug 202018 Sep 2021 जब काश का दौर दिखे सम्मुखबस याद जरा कर लो दिल सेहैं दूर बदन, नहीं दिल से जुदादिल खोल के रख दो जरा फिर से © Arun अर्पण
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 47 25 Jul 2020 बुरा भी मानता हूं क्या तुम अक्सर पूछते हो मैं बुरा भी मानता हूं क्यासदा निश्छल सा दिखता हूं कि लड़ना जानता हूं क्यामैं दुनिया की नजर से खुद की…
शायरी शायरी – 46 18 Jul 2020 कर्ता भी मैं और करता भी नहींसब कुछ मेरा और कुछ भी नहींसच और नज़रों में है फर्क बहुतसब कुछ मैं हूं और कुछ भी नहीं © Arun अर्पण
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 46 28 Jun 2020 ग्रहण लग जाता है जब तात हों साथ सबल सुत हैंहरि धाम लगे वो कुटी जर्जरबिन जान सदा विचरे बिन तातअब काटन को दौड़ाए महल सम्मुख न दिखे अश्रु की…