कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 69 2 Feb 20222 Feb 2022 दुखीराम चाकू 🔪 बहुत थे दुखी कल दुखीराम भाईप्रखर होने की भी सजा जिसने पाई बहुत पूछने पर भी कुछ ना बताएहड़ताल की जिद करे और जताए बहुसूत्री मांगों का…
शायरी शायरी – 54 19 Oct 202120 Oct 2021 खट खट खटनी खटिया खटीखटके जब खटा शरीरखट खट खटके तब तात कीखटके अब खटा कुटीर © Arun अर्पण
बातें - मेरी और आपकी बातें – मेरी और आपकी – 26 26 Sep 202126 Sep 2021 (Alert) New YouTube Video Hello friends I've just posted a new video on YouTube Please visit the link provided below. Watch the video completely and provide your valuable suggestions through…
बातें - मेरी और आपकी बातें – मेरी और आपकी – 24 12 Sep 2021 (Alert) New YouTube Video Hello friends I've just posted a new video on YouTube Please visit the link provided below. Watch the video completely and provide your valuable suggestions through…
बातें - मेरी और आपकी बातें – मेरी और आपकी – 21 11 Aug 20213 Sep 2021 (Alert) New YouTube Video Hello friends I've just posted a new video on YouTube Please visit the link provided below. Watch the video completely and provide your valuable suggestions through…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 62 9 Aug 2021 मानव बनाम चप्पल टूटी चप्पल, हुई विचलित नारचुपचाप खड़ी मोची के द्वारपतले प्लास्टिक में बंधी चप्पलना थी खुलने की जिद पर यार निष्ठुर मोची था धुन में मगनललना को नजर…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 60 22 Jul 2021 प्रेम ही तो लिखता हूं स्पर्श मधुरनख शिख वर्णनप्रिय काम कला नहीं लिखता हूं सुंदर गातेंकटि, अधर, वलयबस युवा प्रणय नहीं लिखता हूं जीवन रसदिल की बातेंजो लखता हूं, वही…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 59 21 Jul 2021 बेखुद ख्वाहिशें मैं शराबी नहीं हूं मगर, हमकदमएक ख्वाहिश है नजरों से पीता चलूं बेखुदी में भी ठिठकें न बढ़ते कदमलड़खड़ाऊं मगर उठकर जीता चलूं नासमझ हूं सुरों और सरगम…
शायरी शायरी – 53 2 Jul 2021 इस रूखसती के दौर का मलाल क्या करतेजमाने की जफ़ाओं पर बवाल क्या करतेचल पड़ा रुसवाइयों का दौर कुछ इस कदरसब खुद ही एक सवाल थे, सवाल क्या करते ©…
शायरी शायरी – 52 18 Jun 2021 जुबां पे मोहब्बत, दिल में कटार लिए फिरते हैंझूठ से सराबोर, यह कैसा प्यार लिए फिरते हैं © Arun अर्पण
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 56 1 May 2021 उफ्फ! तेरी गिनती गिनती की होड़ मची सगरीहै खेल समूचा गिनती काबच जाए कोई वो भी गिनतीमर जाए कोई वो भी गिनतीमेरी गिनती सबसे बेहतरमरने की दर सबसे बेहतरकुछ जुटा…
शायरी शायरी – 50 16 Jan 2021 दिल में भरी थी आग, अंगीठी जला लिएधोखे को आग के लिए ईंधन बना लिएभावों के पतीले में पलीता लगा लिएअनुभव की कड़क चाय से सर्दी भगा लिए © Arun…