Skip to content
अलबेला दर्पण | Albela Darpan

अलबेला दर्पण | Albela Darpan

साहित्य और ज्ञान का संगम

Search
  • YouTube
  • Instagram
  • Facebook
  • Home
  • Photography
  • कविता/poetry
  • शायरी
  • विचार श्रृंखला
  • बातें – मेरी और आपकी
  • Celebrations
  • Knowledge Zone
  • गीता माणिक्य
  • Contact us

Tag: शायरी

शायरी

शायरी – 37

7 Oct 20197 Oct 2019
एक यही अदा तो सीखा है नदी के बहाव सेअपनी रौ में बहना और किनारों की परवाह न करना © अरुण अर्पण Image credit - Google images
शायरी

शायरी – 35

16 Sep 201918 Sep 2021
एक गर्म दुपहरी छांव रहित, प्यासा पथिक और धूप कठिनजलती काली सड़कों पर कहां, मिलते पानी और छांव कहींसब कुछ कृत्रिम घर के अंदर, बाहर की हवा के शत्रु घनेजब…
शायरी

शायरी – 34

9 Sep 20199 Sep 2019
प्रेम की बारिश में कुछ दिन से ओले जैसी बात थीसब कुछ ठीक मगर फिर भी क्यों अश्कों की बरसात थीउनको फिकर जमाने की और ख्वाहिश दुनिया के राज कीहमारी…
शायरी

शायरी – 33

25 Aug 201925 Aug 2019
थक गया हूं इन समझदारियों से अब थोड़ी मनमानियां तो करने दो थक गया हूं सबको खुश कर कर के अब थोड़ी शैतानियां तो करने दो ढूंढता हूं फिर से…
शायरी

शायरी – 25

3 Apr 20192 Apr 2019
वक़्त की चाल को रोकने की कोशिश न कर ये वो दरिया है जिसका कोई समंदर नहीं वक्त के घोड़े पर सवार हो जीत ले सारा जहां पीछा न कर,…
शायरी

शायरी – 22

25 Feb 201925 Feb 2019
फना करके निग़ाहों को, चिरागों को करे रोशन जला करके खुदी का घर, सजाए गैर का गुलशन जमाने में वफ़ा की ये, अदा, जाने कहां की है कहें अपना, दिखें…
शायरी

शायरी – 21

21 Feb 2019
जीवन भर परिवार और समाज की उम्मीदों को उठाने वाले लोग जब चौथेपन की तरफ बढ़ते हैं तो अक्सर ही उन्हें रेगिस्तान के सूखे पेड़ की तरह उनके हाल पर…
शायरी

शायरी – 20

17 Feb 2019
हर पल बदलती दुनिया में हो रहे नित नए अनुभवों और मजबूरी की मुस्कान के पीछे दर्द की उपस्थिति। आखिर कौन सी दुनिया में जी रहे हैं हम सब? पेश…
शायरी

शायरी – 19

13 Feb 201913 Feb 2019
दुनिया में लगातार पनप रहे अविश्वास और अनवरत जारी विश्वासघात के दौरे नजर पेश हैं चंद पंक्तियां :- खुले ज़ख्मों को मरहम की, नजर देते नहीं हैं अब रगड़ते हैं…
शायरी

शायरी – 17

5 Feb 201911 Feb 2019
अपनाया खूबियों को ही कमियों को नजरंदाज किया पास आए तो नजर आया मंजर ख्वाबों के परे पाया फिर कौन कहे और सहे उल्फत गर प्रीत वो थी तो गम…
शायरी

शायरी – 16

2 Feb 201911 Feb 2019
रहगुजर में मिल ही जाता है एक हमसफ़र फर्क बस ये है कि तुमने खुद के लिए क्या चुना
शायरी

शायरी – 15

29 Jan 201913 Feb 2019
कुमुदिनी संग भ्रमर अक्सर, कहानी रात भर की है चला जाता सुबह होते, किरण का साथ पाने को गुलाबों पर भी मंडराता, मकर रस का वो है प्यासा हमें भाते…

Posts navigation

Older Posts
Newer posts

Enter your email address to follow this blog and receive notifications of new posts by email. You may need to "confirm follow" through your registered email ID.

Join 998 other followers

Follow Us

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • YouTube

Connect on Facebook

Connect on Facebook

In case you missed it

LATEST VIDEO ON ALBELA DARPAN
  • Home
  • Photography
  • कविता/poetry
  • शायरी
  • विचार श्रृंखला
  • बातें – मेरी और आपकी
  • Celebrations
  • Knowledge Zone
  • गीता माणिक्य
  • Contact us
  • YouTube
  • Instagram
  • Facebook
Create a website or blog at WordPress.com
  • Follow Following
    • अलबेला दर्पण | Albela Darpan
    • Join 998 other followers
    • Already have a WordPress.com account? Log in now.
    • अलबेला दर्पण | Albela Darpan
    • Customise
    • Follow Following
    • Sign up
    • Log in
    • Report this content
    • View site in Reader
    • Manage subscriptions
    • Collapse this bar
 

Loading Comments...