कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 67 1 Jan 20221 Jan 2022 अजी सुनते हो हैलो जी, हैलो जी; मेरी भी सुनो जी 📢पते की कहूं बात सुनकर गुनो जी 🎷 मिले थे हरिश्चंद्र, मदिरा के मद में 🥂मगर पत्नी को व्यस्तता…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 65 7 Nov 20217 Nov 2021 मर जाना बहुत जरूरी है समझे न मनुज नौकर कहकरबंधुआ रख पेट जलाता हैखुद छप्पन भोग छके छककरनौकर भूखा सो जाता हैकोई न सगा उसका फिर भीपरिवार समझ सह जाता…
शायरी शायरी – 49 9 Nov 20209 Nov 2020 यादें तपिश भी है मगर ठंडक मिले जिनसे मोहब्बत कीये यादें बर्फ और अग्नि की युति की ही कहानी हैं © Arun अर्पण
शायरी शायरी – 47 2 Aug 202018 Sep 2021 जब काश का दौर दिखे सम्मुखबस याद जरा कर लो दिल सेहैं दूर बदन, नहीं दिल से जुदादिल खोल के रख दो जरा फिर से © Arun अर्पण
शायरी शायरी – 42 4 May 20204 May 2020 वो निकल पड़ते हैं अंधी राह पर खामोश मगन होकेइश्क़ ही जब जहर से हो तो मरने से कब तक रोकें © Arun अर्पण
शायरी शायरी – 40 18 Dec 201918 Dec 2019 अक्सर ही देर हो जाती है जब भाव दिलों पर हावी हो, अक्सर ही देर हो जाती हैजब एकतरफा अहसास मिले, अक्सर ही देर हो जाती हैसंवाद की राह दिखे…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 30 3 Jul 2019 ऐ जिंदगी तू ही बता कल राह चलते मिल गए, गुजरे जमाने के दो पल बढ़ती उमर के दौर में, ठंडे सुकून के प्रतीक पल बोले कि तू दिखता नहीं,…