कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 44 17 May 2020 दान या दिखावा लड़कर वो खुद शमशीरों सेपत्थर को मकान बनाता हैआजीवन इज्जत को तरसेचुपचाप कहीं मर जाता है देखें हैं लुटेरे अरबों केबंगलों की नींव हैं लाशों परआंखों की…